भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दादी के बात / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:39, 28 नवम्बर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर' |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
नूनू-नूनू हिन्नें आबोॅ
बढ़ियां बाला गीत सुनाबोॅ
खाना खा तॅ खूब चिबाबोॅ
नूनू कॅे भी साथ पढ़ाबोॅ
याद करी के रोज सुनाबोॅ
सौसे जीवन मंगल गाबोॅ।
रगड़ी-रगड़ी तेल लगाबोॅ
फोड़ा-फुनसी दूर भगाबोॅ
लाहबै में नै आना-कानी
पहिनें ढारॉे गोड़ पॅ पानी
तब डारा तब कंधा ढारोॅ
यहें रकम ठंढ़ा कें मारोॅ।