भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एड्स की पावती / सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:00, 3 दिसम्बर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छविछटा-चन्द्रिका रसवती हो गयी।
सर्जना जग उठी बलवती हो गयी।

ज्ञान की गीतिकाएँ सँवरने लगीं
ध्यान की भावना फलवती हो गयी।

आज एकान्त है शान्ति का सिन्धु है,
आपकी याद है गुणवती हो गयी।

लेखनी रूप् को शब्द देती रही
किन्नरी मौनव्रत की व्रती हो गयी।

युग प्रगति के शिखर चढ रहा आजकल
वासना एड्स की पावती हो गयी।

आज 'सन्देश' वैदिक मुखर हैं कहाँ?
यान्त्रिकी है त्वरित गतिमती हो गयी।