भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यौवन की कोयल / सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:41, 6 दिसम्बर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किसने फेंका मनस्पटल पर यौवन का पाटल कोमल ?
जाग उठी है नव तरंगमालाओं में अभिनव हलचल।

किसने सुधासिक्त मन पट पर विषयों की छीटें डाली।
किसने नीरव निर्मलता को कलुषित किया किया चंचल ?

अन्तस की नीरव वीणा के तारों को किसने छेड़ा ?
किसने नूतन राग जगाया ? किसने स्वप्न दिये सोनल ?

कौन जगाकर गया स्वप्न में मधुर वेदना चुपके से ?
किसने जाल सुनहरा बुनकर आखिर बाँधे नयन युगल ?

किसने चिन्तन के चकोर को पूनम का चन्दा सौंपा ?
किसने सजा दिया तारों से उर का रजत रजत अंचल ?

स्निग्ध चन्द्रिका जाने कब प्राणों में चुपके से आयी ?
कुसुमायुध कर गया न जाने कब मन को घायल घायल ?

कौन सुनहरे सतिया उर में माड़ा करता है निशिदिन ?
कौन सजाता कलश जलाता मधुर मधुर दीपक मंगल ?

मन की बगिया में यौवन की कोयल जब से बोली है,
दृग के हिरना चैके चैके देखा करते हैं हरपल।