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अर्थ-अनर्थ / आन्ना अख़्मातवा / राजा खुगशाल

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इस अनोखी कविता से
अब अधिक पलायन
नहीं कर सकती मैं
जिसमें हर बात
विवादास्पद है ।

कहाँ वाम
और कहाँ दक्षिण
गहरे अर्थ-अनर्थ हैं
और झरे पत्तों की तरह है
क़दमों के नीचे
मेरी ख्याति ।

1944

अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजा खुगशाल