भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आदेश (हिन्दी) / सुमन पोखरेल

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:24, 14 जनवरी 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सुमन पोखरेल |अनुवादक=सुमन पोखरेल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आदेश दर आदेश सुनाई देता ही रहता है
नीचे रहने पे ।

दायीं तरफ मत मुड़ना - बायीं करवट मत सोना ।
खुकुरी साथ रखना ‍- हथियार को पास मत रखना ।
दरवाज़े, खिड़कियाँ खुला रखना - दरवाज़े पे ताला मार कर रखना ।
एक से ज़्यादा मिल कर मत चलना ‍- अकेला मत चलना ।
आँख खोल कर मत देखना - चौबीसों घंटे पहरा देना ।
भूखा मत रहना‍ - कुछ भी मत खाना ।
कपड़े मत पहनना - नंगा मत चलना ।

मुझे समझ नहीं आ रहा,
ये आदेश देनेवाले
सोच क्यों नहीं सकते ?


.......................................................
(नेपाली से कवि स्वयं द्वारा अनूदित)