भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सन्नाटे में आवाज़ / शशिप्रकाश

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:35, 16 जनवरी 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशिप्रकाश |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आवाज़ सन्नाटे को
अनुर्वरता और रिक्तता से मुक्त करती है
और उसे अर्थगर्भित बनाती है I

सन्नाटे में छिपी है
एक शांत-विकल प्रार्थना I
सन्नाटे में दफ़न हैं
अधूरी कामनाएँ-वासनाएँ I

सन्नाटा है स्मृतियों का संग्रहालय,
आवाज़ हमें जहाँ तक
लेकर जाती है !