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काव्यात्मक अतृप्ति / शशिप्रकाश

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चाहकर भी समय न निकाल सका
उदास कविताओं के लिए I
 
इसलिए भी शायद
ग़लतियाँ होती रही हों
पर जीवन बना रहा एक प्रयोग,
एक निष्क्रिय प्रतीक्षा नहीं I

ठण्डे दिनों से टकराता है
एक गर्म हृदय
और दबाव घट जाता है
उदासी का
 
और तूफ़ान का जन्म होता है  !