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लिम्बुनी माया / राज माङ्लाक

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शेर्मा गाउँको रोटेपिङमा
धान नाच्दा नाच्दै
तिम्रो हात चिमोटेर

मैले भनें–

'प्रिय,
यो जुनी त तिम्रै लागि हो नि !'

उत्तरमा भन्यौ – 'नाम्सु !'

अझै थपें–
'म त तिमीविना सास फेर्नै सक्दिन'

फेरि भन्यौ – 'याम्सिङ !'