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ओ समय / राज माङ्लाक
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म,
समयको घडी अघिल्तिर
रगत छाद्दै कुदिरहेछु
त्यही घडीको पछिल्तिर
मेरा बा–आमा
शान्त जीवन बाँचिरहेका छन्
ओ समय
एकाबिहानै टाँकीको कापकापबाट उदाएर
किन मेरो नीद हराम गर्छौ हँ ?