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तीन स्थिति, तीन कविता / खडकसिँह राई ‘काँढा’

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मपट्टि राम्ररी हेरेर
मुस्कुराइदिँदा, तिमी
पुरा फुलेका फूल हाँसे झैँ लाग्छ,
तिम्रो अनुपस्थितिमा पनि सम्झना
एउटी वयस्क स्त्रीको आउँछ,
तर प्रिये, किन हो
अरू कसैको बाहु माझ घेरिएको तिमी देख्दा
अबोध एक हरिणी फसे झैँ लाग्छ।