Last modified on 6 फ़रवरी 2022, at 16:23

मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ / कविता भट्ट

 
मीत तेरे भान में हूँ,
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।
 1
भरम अब है ही नहीं
जगती की छाया का।
मोह जी को है नहीं
आज किसी माया का।

लग रहा प्रज्ञान में हूँ
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।
2
हर दिशा अब गा रही
मांगल्य ध्वनि आ रही।
प्रेम- मिश्रित मधु पिया,
मद-समर्पण- सा हुआ।

अनहद से सम्मान में हूँ,
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।
3
मिलन भी जब ना हुआ।
कैसा विरह यह पिया !
दूर रहकर भी मुझे
मिलन का सुख दे दिया

सच है- मैं अनुमान में हूँ!'
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।