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कुखुरा बास्यो / रवीन्द्र शाह

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कुखुरा बास्यो बिहानी हाँस्यो
फेरि प्रीति लाउँछ्यौ कि लाउँदिनौ ?
फूल फुल्यो बासना चल्यो
फेरि माया आउँछ्यौ कि आउँदिनौ ?

लेक बेँसी ढाकिहाल्यो लहराले आज
मुख छोपी पछ्यौरीले किन मान्छ्यौ लाज ?
पङ्ख खोली मुजुर नाच्यो
मेरो गीत गाउँछ्यौ कि गाउँदिनौ ?

पहरालाई शितल दिने छहराको पानी
गाई बाछो धपाई हिँड्ने सुकुमारी नानी
फूल टिपी माला त गाँस्यौ
मेरो आशिष पाउँछ्यौ कि पाउँदिनौ ?