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मैनाचरी / खुमनारायण पौडेल

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दिनदिनै मैनाचरी
पिँजडाभित्र
अरूका शब्दहरू भन्छ, रमाउँछ
तर आफ्नो स्वतन्त्रता माग्ने शब्द
उसले कहिले बनाउँछ ?