Last modified on 7 अप्रैल 2022, at 22:49

घरती के पेंटर / चंदन द्विवेदी

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:49, 7 अप्रैल 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंदन द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कभी गंवई रहे
अपने पिता से
एसी कमरे में खेलती एक बिटिया ने
अनायास पूछा-क्या ये पेंटिंग है
क्या इतनी अच्छी पेंटिंग
इतने लोग एक साथ करते हैं पापा?

पिता का जवाब था
हाँ बेटा, ऐसा ही है
ये पेंटर ही धरती के भगवान हैं
इनसे ही धरती है, खेतों में धान है
खेतों के किनारे जो बांस है
इनसे रोजी रोटी है, सांस है
इनकी हर मौसम से ठनती है
जब ईश्वर इनके साथ होता है
तब ऐसी सुन्दर पेंटिंग बनती है
आप जो कुछ खाते हैं
आशियाँ बनाते हैं
हंसते हैं, खिलखिलाते हैं
और अंत में जब इस जहाँ से जाते हैं
तो ये पेंटिंग और पेंटर ही काम आते हैं