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आस्था - 3 / हरबिन्दर सिंह गिल

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यदि मानव, मानवता में
अपना अर्थ नहीं ढूंढेगा
जीवन अर्थहीन होकर
किसी अंधेरे में
कभी हमेशा के लिये
गुम होकर रह जाएगा।

अंधेरा, एक ऐसा शब्द है
जिसका साया
किसी को अछूता नहीं छोड़ता।
यह काया तो क्या चीज है
आत्मा भी, कलंकित होकर रह जाती है।

काश मानव, मानवता की महत्ता जान
अपने जीवन का अर्थ बना ले
समाज, संकीर्णता के दायरे से
बाहर जीना सीख जायेगा
और हो जायेगा उजाला ही उजाला।