क्योंकि
पहनावे के नाम
पर बंटा हुआ समाज
एक दूसरे को
शंका की निगाहों से
घूर रहा है
और असहाय
होकर रह गई है
अजर-अमर आत्मा
नाशवान शरीर के
झूठे पहनावों
के सीखचों के पीछे।
क्योंकि
पहनावे के नाम
पर बंटा हुआ समाज
एक दूसरे को
शंका की निगाहों से
घूर रहा है
और असहाय
होकर रह गई है
अजर-अमर आत्मा
नाशवान शरीर के
झूठे पहनावों
के सीखचों के पीछे।