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आस्था - 76 / हरबिन्दर सिंह गिल
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बच्चो! मानवता के गीत गाओ
और मनुष्य से कहो
दूसरों के दुःख में
अपने स्वार्थे को ढूंढने की
नीति सिखाकर
और पथ-भ्रष्ट मत करो।
बच्चो! संपन्नता के गीत गाओ
और मनुष्य से कहो
हथियारों के व्यापार से
पैसा कमाने की
नीति सिखाकर
और धोखा मत दो।
बच्चो! देश-भक्ति के गीत गाओ
और मनुष्य से कहो
बनाई हुई राजनैतिक समस्याओं
से लड़ने की
नीति सिखाकर
और शोषण मत करो।
बच्चो! प्यार के गीत गाओ
और मनुष्य से
साथ में गाने के लिये कहो
मानवता कोई वस्तु नहीं है।
ओ रंग! तुम और बोल नहीं सकोगे
ना ही तुम इतने जीवंत होगे
क्योंकि तुम्हारे सभी चेहरे
आने वाली सदियों के अंधेरों में खो जाएंगे।