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बरीस पस्तिरनाक के लिए / आन्ना अख़्मातवा

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बंद हो गई अनूठी आवाज यहाँ,
झुरमुटों का साथी बिछुड़ गया हमसे हमेशा के लिए
बन गया है वह शाश्वत श्रोता
बारिश में जिसने कई बार गाया था

और आकाश के नीचे उगने वाले सभी फूल,
पनपने लगे – जाती हुई मौत से मिलने के लिए
मगर अचानक उसे शांत व्यक्ति मिल गया और दुखी हो गया –
वह ग्रह, जिसका सादा सा नाम पृथ्वी था

मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह

लीजिए, अब इस कविता को मूल रूसी भाषा में पढ़िए

             Анна Ахматова
     Как птице, мне ответит эхо
                                          Б. П.

Умолк вчера неповторимый голос
И нас покинул собеседник рощ.
Он превратился в жизнь дающий колос
Или в тончайший, им воспетый дождь.

И все цветы, что только есть на свете,
Навстречу этой смерти расцвели.
Но сразу стало тихо на планете,
Носящей имя скромное… Земли.

1960