भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हिन्दी दिवस है एक आन्दोलन / हरिवंश प्रभात

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:41, 16 मई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंश प्रभात |अनुवादक= |संग्रह=ग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी दिवस है एक आन्दोलन, आओ मिलकर सफल करें
हिन्दी बने जन-जन की भाषा, हम सब इस पर अमल करें।

यह कश्मीर की केसर क्यारी, बिन्दी कन्या कुमारी की
हिमगिरी की यह धवल शिखर से निकली गंगा प्यारी सी
जोश जवानों का इसमें है, इसकी सेवा टहल करें।

जोड़ रही सब राज्यों को मज़बूत कड़ी हिन्दी ही है,
आज़ादी की ज्योति जगाई, जन मानस में हिन्दी ही है,
हिन्दी हो कार्यालय भाषा, इसका प्रण हम अटल करें।

विश्व के देशों में लोगों में, हिन्दी सीखने की होड़ लगी
सभी प्रदेशों को जोड़े, जो मज़बूत कड़ी बेजोड़ लगी,
मानव क्या तोते भी, जब हिन्दी में बोलें पहल करें।।

ऐसा ना हो निज बेटों से, यह घनघोर उपेक्षित हो
खूबसूरत भिखारन-सी हो, दूसरी भाषा सुरक्षित हो,
अपराधी है राजद्रोही है, जो अभियान में दखल करें।

हिन्दी सेवा राष्ट्र की सेवा, माँ का दर्जा इसका है
रोम-रोम में बसी हुई यह, जन्म से नाता इसका है,
सब भाषाओं के फूलों में, हिन्दी को हम कमल करें।