दुनिया-जहान / दिनेश कुमार शुक्ल

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शायद तुम्हीं बता सको
कि क्या हुआ उन चीजों का
जिनकी याद भर आ आने से
स्कूली बस्ते
हरी कच्ची बिजली की सुगन्ध से
भर जाया करते थे

क्या हुआ
सन् सत्तावन वाले इमली के पेड़ का
कैथा कमरख करौंदे
और शहतूत वाली बगिया का
क्या हुआ
जिसमें एक कुटी थी
कभी-कभार जो अँधेरी रातों में
टिमटिमाया करती थी
क्या हुआ चूरन और चाट वाले साईं का

हेमन्त की विपुलता पर
वसन्त की धीरे-धीरे उतरने वाली
धूल का क्या हुआ
बालियों में भरते दूध
और चने पर चढ़ते हुए नमक का
क्या हुआ- क्या हुआ अलाव के किस्सों का
टोकरी भर-भर गिरने वाले
महुये के फूलों, प्योंदी बेरों
और लाल अमरूदों का क्या हुआ

शायद बता सको तुम
क्या हुआ उस समय का
उस गाँव का क्या हुआ
क्या है इस जगह का नाम
जहाँ मैं भी एक दुनिया-जहान
खोजता चला आया हूँ ।

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