भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्या ठिकाना / दिनेश कुमार शुक्ल

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:05, 19 मई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्या ठिकाना
चल रहा है रास्ता
जा रहे हैं ऊँट आया आश्विन
क्या ठिकाना वक्त का
किस ओर करवट ले

क्या ठिकाना
रास्ता किस ओर
कब मुड़ जाय
टकटकी-सी बँधी है
घुमड़ता है मेह
स्नेह की वर्षा नहीं थमती
दूर जाता जा रहा है वो
भूलने जैसा

गयी वर्षा
शरद आया
खुली राहें
वक्त आया भटकने का
और मन में
उमड़ता है मेह

जा रही है राह
यात्रा जा रही है
कब कहाँ किस ठौर
हो अगला ठिकाना क्या ठिकाना!