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तुम मुँडेर पर / दिनेश कुमार शुक्ल
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तुम मुँडेर पर
थम गये अचानक ही
जन्म, मरण, हँसी, रुदन
थम गया
अचानक ही घिसा-पिटा
जीवन संगीत
देखा
तो उदय हो रही थीं तुम
अपनी मुंडेर पर
और
अनहद
बज रहा था