Last modified on 23 जून 2022, at 00:53

अपना मधुमय नाता है / प्रेमलता त्रिपाठी

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:53, 23 जून 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमलता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जन्म भूमि से जन्मों का ये,अपना मधुमय नाता है ।
लिखना है निस्वार्थ भाव से,निज सत्य बहीखाता है ।

ढुल-मुल नीति वही ढोता है,भार रूप है जीता जो,
अपनी जड़ता के कारण, व्यर्थ रीति दुहराता है ।

सदा संतुलन संदेश रहा,स्वयं सँवारे नियति नियम,
रवि जो देता सदा चेतना,नाते मौन निभाता है ।

भूख गरीबी या मंदी हो, चिंतन से बदलेगें हम,
दीप ज्योति से विकट अँधेरा,उसे मिटाना आता है।

नयी योजना उम्मीदों से,भारत सुदृढ़ बनाने को,
पहल सदा हम स्वयं करेंगे,यही वक्त सिखलाता है ।