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कहें क्यों पराई / प्रेमलता त्रिपाठी

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बेटियों को कहें क्यों पराई ।
गर्भ से जा रही क्यों गिराई ।

एक माँ की घनी रूप छाया,
है तुम्हीं से सजी अंगनाई ।

रूप देवी स्वरूपा सदा ये,
मोहनी हृद सदन में समाई ।

हो न अबला तुम्हें जो कहें हम
लाडली दो कुलों की कहाई ,
 
मानिनी हो बनों मान मेरा,
हो सदा दूर तुमसे बुराई ।