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तुम्ही मीत मेरे लिए / प्रेमलता त्रिपाठी

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आग छूना अगर प्रीत मेरे लिए ।
आब शीतल तुम्ही गीत मेरे लिए ।

रंग प्यारा तुम्हारा चढा है वही
हो महकती हिना रीत मेरे लिए ।

दर्द देकर मुझे यों भुलाना न था,
हो दवा भी तुम्ही मीत मेरे लिए ।

मौत की भी नहीं अब जरूरत हमें,
है उधर भी तड़प जीत मेरे लिए ।

भोर की इक किरण यों जगाती रही
चाँदनी बन ढली शीत मेरे लिए ।