Last modified on 7 नवम्बर 2008, at 10:03

श्वेताश्वतरोपनिषद / मृदुल कीर्ति

74.76.61.237 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 10:03, 7 नवम्बर 2008 का अवतरण




शान्ति मंत्र

ॐ सहनाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु । मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

रक्षा करो, पोषण करो, गुरु शिष्य की प्रभु आप ही,
ज्ञातव्य ज्ञान हो तेजमय, शक्ति मिले अतिशय मही।
न हों पराजित हम किसी से ज्ञान विद्या क्षेत्र में,
हो त्रिविध तापों की निवृति, अशेष प्रेम हो नेत्र में।