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उडीक / चंद्रप्रकाश देवल

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थूं निब
म्हैं स्याही
जगत रै चोपन्यै
अपांरी आ इज आसनाई

थूं मांडै
म्हैं मंडूं
पछै थूं अलोप व्हैजा छांनै
अर म्हैं सूखती पल-पल
उडीकूं
थनै धकलै पांनै !