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नृत्य / विशाखा मुलमुले
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शिव के सम्मुख नृत्य है
आकाश में नृत्य है,
सूर्य, चंद्र, आकाशगंगाओं का
नेपथ्य में भी चलता नृत्य है
अलौकिक है, असीम है,
अनंत है, नृत्य है
धरा पर भी नृत्य है,
सूर्य किरणों का नृत्य है
रज-रज में नृत्य है,
कण-कण में नृत्य है
वर्षा बादलों का नृत्य है,
पवन उष्माओं का नृत्य है
कभी शुष्क है, कभी आर्द्र है
अनवरत है, नृत्य है
धरती के भीतर भी नृत्य है
गुरुत्व है, चुम्बकत्व है
अनगिनत छिपे बीजों में संभावनाओं का नृत्य है
भूकंम्प असंतुलित धरा का नृत्य है
ज्वालामुखी दृश्य है
उछलता लाल लावा सम्पन्नता का नृत्य है
हम भी है नृत्य में
प्रकृति के हर कृत्य में
देह के भीतर आत्मा का नृत्य है
विदेह परमात्मा का नृत्य है
सर्वत्र है,
नृत्य है ।