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मा : चार / कृष्णकुमार ‘आशु’
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बालपणै में
मा री
आंख रो तारो होंवतो म्हैं
बाई सूं पै'लीं
पूरी हुंवती म्हारी जरूरत।
आज जद
मा नै हुवै
म्हारी जरूरत
तो म्हारै सूं पै'ली
हाजिर हुवै बाई।