भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मा : पांच / कृष्णकुमार ‘आशु’
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:50, 26 जुलाई 2022 का अवतरण
जद भी जांवतौ सै'र
ताकती रैंवती
मा री आंख्यां
बारणै कान्नी
म्हारै पाछो आवण तांई।
म्हनै लागतो
कै घर सूं बारै भी
म्हारो कित्तो
ध्यान राखै मा।