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यायावर / गीता शर्मा बित्थारिया
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अपने दु:खों से दुखी होकर
तुम चुन लेते हो
मृत्यु
पर
तुम्हारे दु:ख
मरते नहीं हैं तुम्हारे साथ
तुम्हारे छोड़े दुःख
जमा हो जाते हैं
तुम्हारे किसी प्रिय के खाते में
तुम्हारे दुःख द्विगुणित होते जाते हैं
क्योंकि तुम बांट नहीं पाते
अपने हिस्से के दु:ख
बढ़ने लगते हैं
वो सारे दु:ख और पीड़ा
जो तुमने जमा कर दिए हैं
उसके खाते में
चक्रवृद्धि दर से
दु:ख
कभी मरा नहीं करते
एक अनंत यात्रा पर निकले
अजर अमर
यायावर होते हैं दु:ख
सिर्फ देहांतरण करते रहते हैं
दु:खों की मृत्यु कभी नहीं होती