Last modified on 16 सितम्बर 2022, at 07:03

चन्दा मेरे घर आना / रामेश्वर काम्बोह ‘हिमांशु’

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:03, 16 सितम्बर 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} Category:...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चन्दा मेरे घर आना
संग चाँदनी को लाना ।
कभी नीम के पेड़ तले
छुप जाना तुम रात ढले।
कभी आम की फुनगी पर
उजले पाँवों से चलकर
नाच सभी को दिखलाना।
चुपके खिड़की से आकर
आँखें मेरी सहलाकर
बैठ सिरहाने दो घड़ी
कथा सुनाकर परियों की
मेरा मन भी बहलाना।
निंदिया रानी जब आए
पलकें मेरी मुँद जाएँ
आँगन का बूढ़ा पीपल
मीठी लोरी जब गाए।
तभी पास से तुम जाना ।
-0-