बैक का गेट बन्द है
और बाहर लगी है लम्बी कतार
कतार बढ़ती ही जा रही
जैसे हनुमान की पूँछ
अभी जो 'आह, आह' कर रहे थे
कैमरा देखते ही 'वाह, वाह' करने लगे हैं
वे पैरों पर ही नहीं, हाथों पर उछल रहे हैं
जो सज्जन मेरे आगे खड़े थे
वे तो पूरे जोश में हैं
अपना सीना ऐसे ठोक रहे हैं
जैसे वह छप्पन इंच का हो
कह रहे हैं-
देश में बस एक ही ईमानदार है
जो सारे चोरों से लड़ रहा है
यह सब देख-सुन
मेरे दिमाग की नसें तड़-तड़ा रही हैं
नहीं, यह बकवास है
झूठ कहा और गढ़ा जा रहा है
वह चोरों का सरदार
चोरों से लड़ेगा, क्या खाक!
लोग परेशान, पैसा मुहाल, जीना मुहाल
लोग कतार में, सरहद पर नहीं
फिर क्यों वहाँ गिर रहे हैं लोग
धरती पर बिछ रही हैं उनकी लाशें?
क्या वही नहीं है इन सबका जिम्मेदार?
मैं सवाल करना चाहता हूँ
पर मेरे सवाल हैं
कि उसके कैमरे में अंट नहीं पा रहे
वह भागता है
मेरे सवाल उसका पीछा करते है
वह भाग रहा है
मेरे सवाल उसका पीछा कर रहे हैं
वह भागता रहेगा
मेरे सवाल उसका पीछा करते रहेंगे।