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जतिंगा / तेमसुला आओ / श्रुति व माधवेन्द्र
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जतिंगा — असम की एक जगह का नाम, जहा~म हर साल हज़ारों पक्षी सामूहिक रूप से आग में जलकर आत्महत्या करते हैं ।
क्या खींच ले जाता है तुम्हें वहाँ,
ओ अमर पक्षियो !
ताक़त
तुम्हारे नन्हे परों की
या मरती हुई चीख़ें
तुम्हारे सुरीले गलों की ?
कौन खींच ले जाता है तुम्हें वहाँ,
ओ अमर पक्षियो !
किसी अदृश्य वंशीवादक की
सम्मोहन तानें
या कोई जादू
डूबती किरणों का
विदा होते हुए सूर्य की ?
कौन बताता है तुम्हें
कब जाना है
ओ अमर पक्षियो !
क्या हासिल होता है तुम्हें
जब मरते हो तुम
ओ अमर पक्षियो !
क्या बाध्य करता है तुम्हें
ओ अमर पक्षियो !
स्वेच्छा से वरन करने को
अन्तिम मृत्युपाश,
केवल जतिंगा में ?
—
अँग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : श्रुति व यादवेन्द्र