भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यारे बेटू के लिए / मंजुला बिष्ट

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:10, 13 नवम्बर 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मंजुला बिष्ट |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसका पीछा कभी न करना
जो तुमसे हाथ छुड़ाकर भाग रहा हो
उसके आगे कभी न चलना
जिसकी अँगुली थामकर तुम चले थे

उसके पीछे कभी न चलना
जो पलटकर वार करने पे यकीं करता हो
उसके बराबर कभी न चलना
जो मनभेदों की गाँठ कभी न खोलता हो

उसका स्वागत कभी न करना
जिसने तुम्हें भीड़ में अकेला किया हो
उसे अलविदा कभी न कहना
जिसके बिन तुम्हारा एकांत भी भटकता हो

उससे नाराज़ तनिक भी न होना
जो आज भी तुम्हारा आईना बन जाता हो
उसे सलाह-मशवरा कभी न देना
जो अंतिम बात सुने बगैर निर्णय बाँचता हो

उसके प्रेम में कभी न पड़ना
जो प्रेयस की संख्या महफ़िलों में गिनाता हो
उससे नफ़रत कभी न करना
जो किसी को पराजित करने में थकने लगा हो

उस युवा के काँधे पर हाथ जरुर रखना
जो मित्रमण्डली छोड़ शवयात्रा में शामिल होता हो
उस अकेले को कभी न हारने देना
जो बग़ैर तिकड़मों के लड़ने का माद्दा रखता हो

उस भीड़ को जीतने न देना
जो आहिस्ते से गिरोहों में बदलने को संगठित हो
उस यात्रा को कभी अधूरी न छोड़ना,मेरे बच्चे!
जो तुम्हारे पगथापों की प्रतिक्षाओं में जाग रही हो।