भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिशाभ्रम / गुलशन मधुर

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:15, 13 नवम्बर 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलशन मधुर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कैसा कैसा होता है कभी-कभी मन
पथभूले पांव
आ पहुंचे हों जैसे
किसी अनजाने गांव
या फिर
पूरी होने की चाह में
कोई अधूरी कविता
मुड़ गई हो
ग़लत शब्दों की गली में