भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
माँ और बच्चा / अमरजीत कौंके
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:21, 11 दिसम्बर 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरजीत कौंके |अनुवादक= |संग्रह=आक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
माँ बहुत चाव से
गमले में उगाती है मनीप्लांट
बच्चा घिसटता जाता
तोड़ डालता है पत्ते
उखाड़ फेंकता है
छोटा-सा पौधा
माँ फिर गमले में
बोती है मनीप्लांट
बच्चा फिर निकाल फेंकता
जड़ से
फूटने पर नए पत्ते
माँ फिर हिम्मत नहीं छोड़ती
बच्चा फिर जा रहा
पौधे की तरफ लपकता
मैं देख रहा हूँ
कितने दिनों से
माँ और बच्चे की
यह मीठा खेल
सोचता हूँ
जीतता कौन है?
माँ का हौंसला
या बच्चे की जिद?