दिन डूबा नावों के सिमट गए पाल।
खिंच गई नभ में
धुएँ की लकीर
चढ़ गई
तट पर
लहरों की पीर
डबडबाई आँख- सा सिहर गया ताल ।
थककर
रुक गई
बाट की ढलान,
गुमसुम
सो गया
चूर चूर गान
हिलते रहे
याद के दूर तक रूमाल।
दिन डूबा नावों के सिमट गए पाल।
खिंच गई नभ में
धुएँ की लकीर
चढ़ गई
तट पर
लहरों की पीर
डबडबाई आँख- सा सिहर गया ताल ।
थककर
रुक गई
बाट की ढलान,
गुमसुम
सो गया
चूर चूर गान
हिलते रहे
याद के दूर तक रूमाल।