भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एमीली वेहाहेन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:48, 24 दिसम्बर 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKParichay |चित्र= |नाम=एमीली वेहाहेन |उपनाम= |जन्म= 21 म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एमीली वेहाहेन
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | 21 मई 1855 |
---|---|
निधन | 27 नवम्बर 1916 |
जन्म स्थान | सिन्त अमान्द्स, एन्तवर्पण, बेल्जियम |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
फ़्लामान्दकी (1883) यानी बेल्जियम की फ़्लेमिश इलाके की स्त्रियाँ , संन्यासी (1886), सन्ध्याएँ (1887), दुर्घटनाएँ (1988), काली मशालें (1890), बेसुध मैदान (1893), अष्टबाहु (ओक्टोपस) नगर (1895), भोर का समय (1896), दोपहर का समय (1905), शाम का समय (1911) और, युद्ध के लाल पंख | |
विविध | |
ब्रिटेन के अनेक विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मानित एमीली वेहाहेन की मृत्यु फ़्रांस के नार्मन इलाके में रुआन स्टेशन पर एक छूट रही रेलगाड़ी के नीचे आने से हुई। फ़्रांस के प्रमुख प्रतीकवादी कवियों में से एक, जिनका मुख्य प्रतीक रही -- धरती, उपजाऊ धरती, जो जीवों को जीवनदान देती है। एमीली पितृसत्तात्मक परम्पराओं और पितृसत्तात्मन समाज के टूटने पर बेहद आहत हुए थे और उन्होंने गाँवों को ’पैशाचिक गाँव कहना शुरू कर दिया था, जहाँ ’ग्रामीण मृगतृष्णा’ के अलावा और कुछ बाक़ी नहीं बचा है। उनका कहना था कि सारे रास्ते शहरों की ओर ही ले जाते हैं, जहाँ का जीवन बेहद कठोर और यातनादायक है तथा मनुष्य की आत्मा की हत्या कर देता है। राजनीतिक रूप से वे सोशलिस्टों के क़रीब थे और समाजवादी नज़रिया रखते थे। | |
जीवन परिचय | |
एमीली वेहाहेन / परिचय |