भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

योजनाओं का शहर-1 / संजय कुंदन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:38, 12 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय कुंदन |संग्रह= }} <Poem> जब उसने बताया कि वह एक य...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

जब उसने बताया कि
वह एक योजना के मुताबिक
विनम्र बन रहा है, तो मैं चकराया
उसके मुस्कुराने के अंदाज़ और
हाथ मिलाने के ढंग पर संदेह हुआ

मुझ से विदा लेकर
वह राजपथ की ओर मुड़ा
और उन खम्भों के बीच
तनकर खड़ा हो गया
जो योजना के तहत लगाए गए थे
सड़क के किनारे

पहली बार मैंने एक खम्भे की हँसी सुनी थी।