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आए तूफान / रश्मि विभा त्रिपाठी

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1
प्यार का सिला
हमें किसी से कब
अच्छा ही मिला!
2
पड़ा हलका
प्यार का रंग जब
दर्द छलका।
3
जहाँ सहेजा!
उसने चाक किया
वही कलेजा।
4
वर्चुअल है!
फेसबुकिया प्यार
एक छल है।
5
जान पे खेले
फिर भी इल्ज़ाम ही
हमने झेले।
6
खलबली है
किधर को दुनिया
अब चली है?
7
बन्द झरोखे
घर, बाहर देखो
कितने धोखे!
8
अब कहूँगी
किसी से क्या, हो गई
दुनिया गूँगी।
9
समझौतों पे!
दुख होता है बड़ा
ऐसी मौतों पे।
10
बताते रहे
जो अपना, वे ही तो
सताते रहे।
11
नहीं जज़्बाती
आजकल आदमी
है खुराफाती!
12
भरमार है
अपनों की हालांकि,
कहाँ प्यार है?
13
अपना सगा
समझा जिसको भी
दे गया दगा!
14
आए तूफान
तो रिश्ते गुमशुदा
इसी दौरान।
15
फिर न लौटा!
शायद पहने था
वह मुखौटा?
16
अर्थी न हटी
पहले ही हवेली
हिस्सों में बँटी।
17
कितनी कला
अपने हँसकर
कसते गला।
18
बुरे मंसूबे!
हमारे अपनों के
हमें ले डूबे।
19
पैसा ही पैसा!
प्यार में चल पड़ा
व्यापार कैसा?
20
है विरह का
सावन आँखों में तो,
जिया दहका!
21
करते भूल!
प्रेम के राज में जो
चाहते रूल।
22
जिसे भरोसा
जताया उम्र भर
उसी ने कोसा!
23
छिले तलवे
हमराह के तब
देखे जलवे!
24
जब परखा
तब- तब ताख पे
रिश्तों ने रखा!
25
पाकर हक
प्यार मरता नहीं
आखिर तक!
26
कैसी ये बस्ती
बचाना मुश्किल है
अपनी हस्ती!
27
अब तो कहीं
प्यार की पवित्रता
दिखती नहीं।
28
करो दुआएँ
विछोह के मौसम
कभी न आएँ।
29
स्वार्थ ही मात्र
हुआ धर्म इंसाँ का
घ्रणा का पात्र!
30
कहीं कमी है!
रिश्तों के आइने पे
धूल जमी है।
-0-