भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हेमलेट / बरीस पास्तेरनाक / हरिवंश राय बच्चन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:00, 22 मार्च 2023 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शोर बन्द हो गया । मंच पर मैं हाज़िर हूँ,
दरवाज़े के पास खड़ा हो सोच रहा हूँ,
दूरागत प्रतिध्वनियाँ सुनता,
मेरे जीवन में जो कुछ घटनेवाला है ।

रात अन्धेरी मेरी ओर चली आती है,
शत-शत नाट्य-घरों में होती;
परम पिता, यदि सम्भव हो तो,
अबकी बार ज़हर का प्याला पड़े न पीना ।

दुर्निवार्य उद्देश्य तुम्हारा मान्य मुझे है,
मैं अपनी भूमिका अदा करने को तत्पर,
किन्तु यह नया नाटक, मैं नव अभिनेता हूँ,
एक बार मुझको अपना होकर जीने दो ।

आह ! जानता हूँ अंकों का क्रम निश्चित है,
नियत अन्त से बचना सम्भव कभी नहीं है,
मैं एकाकी हूँ, पाखण्डी-दल रचता है ताना-बाना ।
(फँसना होगा !)

  • अपना जीवन जीना ऐसा सरल नहीं है

                                    जैसे खेत पार कर जाना !

  • अन्तिम वाक्य एक रूसी कहावत है।

                                               
अँग्रेज़ी से अनुवाद : हरिवंश राय बच्चन

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
                   Борис Пастернак
Стихотворение из романа «Доктор Живаго»

Гул затих. Я вышел на подмостки.
Прислонясь к дверному косяку,
Я ловлю в далеком отголоске
Что случится на моем веку.

На меня наставлен сумрак ночи
Тысячью биноклей на оси.
Если только можно, Авва Отче,
Чашу эту мимо пронеси.

Я люблю твой замысел упрямый
И играть согласен эту роль.
Но сейчас идет другая драма,
И на этот раз меня уволь.

Но продуман распорядок действий,
И неотвратим конец пути.
Я один, все тонет в фарисействе.
Жизнь прожить — не поле перейти.

1946