Last modified on 13 नवम्बर 2008, at 22:20

कविता सुनाई पानी ने-3 / नंदकिशोर आचार्य

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:20, 13 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह= }} <Poem> एक फूल में सारा सह...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक फूल में
सारा सहरा खिल आता जैसे
एक खिलखिलाहट में
सारा जीवन

एक पात में
झर जाता सारा जंगल
जैसे
एक सुबक में सारा जीवन ।