भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भ्रम / नूपुर अशोक
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:03, 14 अप्रैल 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नूपुर अशोक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बादलों के पीछे
हल्की-हल्की-सी रोशनी
हल्का-हल्का-सा धुंधलका
कुछ चाँद-सा लगता
कुछ छुपा-सा रहता
दिल करता
हाथ बढ़ा कर
हटा दूँ धुंधले बादल
या फिर रहने दूँ
भ्रम
चाँद के होने का।