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वर्जित इच्छाओं की सड़क / अनुराधा ओस
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वर्जित इच्छाओं की सड़क पर
कभी चलकर जरूर देखना
पाँव में कितने काँटे चुभे
जरूर देखना
देखना की कितने गहरे
धंसी है कील वर्जनाओं की
वहाँ भी चलकर देखना
जहाँ रात की रानी ने कहा होगा
अब सो जाओ मीत मेरे
जब कह सको तो कहना
अपना प्रेम, अपना हक
चल सको तो चलना
कांटों पर भी।