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अभी बन्द हूँ / अनुराधा ओस

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अभी बन्द हूँ
पलकों के
ज़िरह बख़्तर में

अभी और करना है
इंतज़ार

कुछ दिन बाद
मेरी सांसों से
तर-ब-तर होंगी
सांसे तुम्हारी

अभी बाकी है
आषाढ़ की बरखा
अभी धंसना है
पानी को खेतों में

अभी कुछ दूर
साथ चलेगी मेरी खुशबू
चरागाहों तक॥