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रास्ते / अनुराधा ओस
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आमतौर पर हम वहीं
जातें हैं
जहाँ रास्ते हमे ले जातें हैं
कुछ रास्ते वहाँ जातें हैं
जहाँ पहुँचकर कोई
रास्ता नहीं बचता
कुछ रास्ते हमें
धकेल देते हैं युद्ध की ओर
और कुछ बुद्ध की ओर
रास्ते हमारी उंगली पकड़
ले जातें हैं उस ओर
जहाँ सभ्यता का
अंतिम आदमी रहता है
जो खत्म होने को हैं
इतिहास के पन्नो में
दर्ज हो जाएंगी उनकी गाथाएँ
कुछ दिनों बाद
रास्ते चुपके से
वहाँ खड़ा कर देतें हैं
जहाँ क्यारियों में भरी है
बारूद की खाद और गंध
नजरबंद लोगों के
चेहरों पर जड़ दिए गएँ हैं
ताले कई मनो के
रास्ते हमें ले जातें हैं
वहाँ भी जहाँ
रक्त से सनी सड़कें
विलाप का गीत सुन रही है
इसके बाद भी लोग
रास्तों पर चलना नहीं छोड़ते॥