रंग बिरंगी तितली खोई
जगमग करते जुगनू खोए
खोया हमने गाँव
रात भी खोई
चाँद भी खोया
झिलमिल तारों की वह छाँव
हरे खेत लहराते खोए
बैलों की वह घंटी खोई
सोंधी-सोंधी खुशबू वाली
आंगन की वह मिट्टी खोई
वह हँसते चेहरे की झुर्रियां
उठते हाथ आशीषों के
बात- बात पर हाल पूछते
हमने सारे अपने खोए
चूल्हे की वे मस्त रोटियाँ
काकी की वह कुल्हड़ वाली
धुएँ वाली चाय की खुशबू
भाई बहन की हँसी ठिठोली
गाछ पे बैठी मुनिया खोई
कितना कुछ हाँ कितना कुछ
बस कुछ सपनों के खातिर
खुद को साबित करते करते
हमने पूरी दुनिया खोई