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सांता क्लाज अपना-अपना / अर्चना अर्चन

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कतई जरूरी नहीं
कि हर दफा आए वो
लाल कोट पहनकर।
ये भी कोई शर्त नहीं
कि झूलती हो
चेहरे पर
लंबी सफेद दाढ़ी
हो सकता है
घंटियाँ बजाता हुआ न आए
वो स्लेज पर
और न हो कोई गठरी
कांधे पर उसके
मगर जान लो
जिसके आने का
हो इंतजार
और खिल उठे मुस्कान
जिसकी आहट से
वही है सांता।
सबका अपना-अपना!