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बूढ़े गिद्ध की वापसी / निदा नवाज़

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कश्मीरी कट्टरवादी और अलगाववादी नेता अली शाह गीलानी के, अपनी मृत्यु से पहले, हुर्रियत काँफ्रेंस छोड़ने पर

बूढ़ा गिद्ध युद्धक्षेत्र से लौट आया है
मसीहाई मुखोटा फिर से उतर चुका है

हर तरफ़ उसके क़हक़हे गूँज रहे हैं
और उसके पीछे-पीछे चल रहा
कमउम्र गिद्धों का एक बड़ा झुण्ड
कत्थई रंग की त्वचा की ओट में
मुस्कुरा रहा है

मुर्दों पर उसके झपटने, गर्दन मरोड़ने
ख़ून चूसने और नोचने की कला की
प्रशंसा हो रही है

उसकी चोंच ख़ून से लथपथ है
और पँजों में सड़े मांस की बू
उसका दिल पथराया हुआ है
आँखों में झूठी विजय की चमक

सब तो उसी का रचा हुआ है
पूरी बिसात उसी की बिछाई हुई
सफ़ेद राजा, काला हाथी, अकेला ऊँट
सैनिक प्यादे, काली रानी, दोनों राजा
उसी के इशारों पर सब कुछ हो रहा

युद्धक्षेत्र को सजाने का षड्यन्त्र
भावुक युवा सैनिकों की भर्ती
मरवाने से लेकर नोचने की प्रक्रिया
सब उसी का शोषण

बूढ़े गिद्ध के माथे पर
पश्चाताप की कोई झुर्री तक नहीं

लेकिन युद्धक्षेत्र पर फैली
हज़ारों लाशों की सड़ी हुई आँखों में
आख़िरी दृश्य के तौर पर
बूढ़े गिद्ध का भयानक चेहरा
दर्ज हुआ है

बूढ़ा गिद्ध युद्धक्षेत्र से लौट आया है
मसीहाई मुखौटा फिर से उतर चुका है ।

(29 जून 2020)